हर रोज़ चुपके से निकल आते है नये पत्ते

हर रोज़ चुपके से निकल आते है नये पत्ते

हर रोज़ चुपके से निकल आते है नये पत्ते

हर रोज़ चुपके से निकल आते है नये पत्ते,
यादों के दरख्तों मे मैने कभी पतझड़ नहीं देखा...!


Har roz chupake se nikal aate hai naye patte,
Yaadon ke darakhton me maine kabhee patajhad nahin dekha...!