हर रोज चुपके से निकल आते नये पत्ते

हर रोज चुपके से निकल आते नये पत्ते

हर रोज चुपके से निकल आते नये पत्ते,
यादों के दरख्तों में क्यूं पतझड़ नहीं होते.......


Har roj chupake se nikal aate naye patte,
Yaadon ke darakhton mein kyoon patajhad nahin hote.......