हर बात तुम्हें अकेले ही क्यूं समझनी है

हर बात तुम्हें अकेले ही क्यूं समझनी है

हर बात तुम्हें अकेले ही क्यूं समझनी है ..
हर फैसले में बस खुदी ही क्यूं परखनी है ..
कभी तो शामिल हमे भी होना होगा ..
कब तक यूं मैं से हम की दूरी सहनी है ..
---By Maninder Kaur


Har baat tumhen akele hee kyoon samajhanee hai ..
Har phaisale mein bas khudee hee kyoon parakhanee hai ..
Kabhee to shaamil hame bhee hona hoga ..
Kab tak yoon main se ham kee dooree sahanee hai ..
---by manindair kaur