हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है

हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है

हर एक नदिया के होंठों पे समंदर का तराना है,
यहाँ फरहाद के आगे सदा कोई बहाना है !
वही बातें पुरानी थीं, वही किस्सा पुराना है,
तुम्हारे और मेरे बिच में फिर से जमाना है…!!


Har ek nadiya ke honthon pe samandar ka taraana hai,
Yahaan pharahaad ke aage sada koee bahaana hai !
Vahee baaten puraanee theen, vahee kissa puraana hai,
Tumhaare aur mere bich mein phir se jamaana hai…!!