हर इलजाम का मुजरिम वो हमें बना जाती हैं

हर इलजाम का मुजरिम वो हमें बना जाती हैं

हर इलजाम का मुजरिम वो हमें बना जाती हैं

हर इलजाम का मुजरिम वो हमें बना जाती हैं,
हर खता की सजा बड़े प्यार से हमे बता जाती हैं,
और कमबख्त हम हर बार चुप रह जाते हैं,
क्योकि वो हर बार “रक्षा बंधन” का डर दिखा जाती हैं.
शुभ रक्षा बंधन…


Har ilajaam ka mujarim vo hamen bana jaatee hain,
Har khata kee saja bade pyaar se hame bata jaatee hain,
Aur kamabakht ham har baar chup rah jaate hain,
Kyoki vo har baar “raksha bandhan” ka dar dikha jaatee hain.
Shubh raksha bandhan…