हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है साहिब

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है साहिब

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है साहिब

हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है साहिब ...
दिनों की बात है ,महफिल की आबरू थे हम.


Hamaara zikr bhee ab jurm ho gaya hai saahib ...
Dinon kee baat hai ,mahaphil kee aabaroo the ham.