सामने बैठे हो तुम और अब निगाहें थकती

सामने बैठे हो तुम और अब निगाहें थकती

सामने बैठे हो तुम और अब निगाहें थकती
नहीं निहारने से हालात संघिन थे मेरे, रौनक
बची है सिर्फ तुम्हारे संवारने से.


Samne bethe ho tum aur ab
nihagein thakti nahi niharte se
halat sanghit the mere ronak
bachi ha sirf tumhare sanwarne se..