समझ में नही आता की किस पर भरोसा करूँ

समझ में नही आता की किस पर भरोसा करूँ

समझ में नही आता की किस पर भरोसा करूँ;
यहाँ तो लोग नफरत भी मोहब्बत की तरह ही करते है!


Samajh mein nahee aata kee kis par bharosa karoon;
Yahaan to log napharat bhee mohabbat kee tarah hee karate hai!