शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात Admin / Nov 25, 2021 शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात शायद इसी को कहते हैं मजबूरी-ए-हयात, रुक सी गयी है उम्र-ए-गुरेजां तेरे बगैर। Shayad Isi Ko Kehte Hain Majburi-E-Hayat, Ruk Si Gayi Hai Umr-e-Gurejan Tere Bagair. Shayari Sad Shayari