शामें कटती नहीं और साल गुज़रते चले जा रहे हैं

शामें कटती नहीं और साल गुज़रते चले जा रहे हैं

ज़िन्दगी का फलसफा भी कितना अजीब हैं,
शामें कटती नहीं और साल गुज़रते चले जा रहे हैं।


Zindagee ka phalasapha bhee kitana ajeeb hain,
Shaamen katatee nahin aur saal guzarate chale ja rahe hain.