शाम ढले ये सोच के बैठे हम तेरी तस्वीर के पास

शाम ढले ये सोच के बैठे हम तेरी तस्वीर के पास

शाम ढले ये सोच के बैठे हम तेरी तस्वीर के पास,
सारी ग़ज़लें बैठी होंगी अपने-अपने मीर के पास।


Shaam dhale ye soch ke baithe ham teree tasveer ke paas,
Saaree gazalen baithee hongee apane-apane meer ke paas.