शर्म आती है कि उस शहर में हम हैं कि जहाँ

शर्म आती है कि उस शहर में हम हैं कि जहाँ

शर्म आती है कि उस शहर में हम हैं कि जहाँ
न मिले भीक तो लाखों का गुज़ारा ही न हो !!


Sharm aati hai ki us shahar mein ham hai ki jahan
Na mile bheek to laakhon ka gujaara hi na ho