वो भी क्या दिन थे जब बेचैन होता था तेरे घर के सामने

वो भी क्या दिन थे जब बेचैन होता था तेरे घर के सामने

वो भी क्या दिन थे, जब "बेचैन" होता था तेरे घर के सामने,
साइकिल की चैन उतार कर तुझे चैन से देखता था....


Vo bhee kya din the, jab "bechain" hota tha tere ghar ke saamane,
Saikil kee chain utaar kar tujhe chain se dekhata tha....