वैसे ही दिन वैसी ही रातें वही रोज़ का फ़साना लगता है

वैसे ही दिन वैसी ही रातें वही रोज़ का फ़साना लगता है

वैसे ही दिन,वैसी ही रातें,वही रोज़ का फ़साना लगता है...
अभी चार दिन नहीं गुजरे,साल अभी से पुराना लगता है...!


Vaise hee din,vaisee hee raaten,vahee roz ka fasaana lagata hai...
Abhee chaar din nahin gujare,saal abhee se puraana lagata hai...!