लाखों अदाओं की अब जरुरत ही क्या है

लाखों अदाओं की अब जरुरत ही क्या है

लाखों अदाओं की अब जरुरत ही क्या है,
जब वो फ़िदा ही हमारी सादगी पर है।


Laakhon adaon kee ab jarurat hee kya hai,
Jab vo fida hee hamaaree saadagee par hai.