लफ़्ज़ों में ही पेश कीजियेगा रिश्तों की दावेदारियाँ

लफ़्ज़ों में ही पेश कीजियेगा रिश्तों की दावेदारियाँ

लफ़्ज़ों में ही पेश कीजियेगा रिश्तों की दावेदारियाँ...
ये शहर-ए-नुमाइश है, यहाँ अहसास के जौहरी नहीं रहते...!!


Lafzon mein hee pesh keejiyega rishton kee daavedaariyaan...
Ye shahar-e-numaish hai, yahaan ahasaas ke jauharee nahin rahate...!!