रोज रोज गिर कर भी मुक़म्मल खड़े हैं

रोज रोज गिर कर भी मुक़म्मल खड़े हैं

रोज रोज गिर कर भी मुक़म्मल खड़े हैं,
ऐ ज़िंदगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं।


Roj Roj Gir Kar Bhi Muqammal Khade Hain,
Ai Zindgi Dekh Mere Hausle Tujhse Bhi Bade Hain.