रोज रोज गिर कर भी मुक़म्मल खड़े हैं Admin / Jul 20, 2021 रोज रोज गिर कर भी मुक़म्मल खड़े हैं रोज रोज गिर कर भी मुक़म्मल खड़े हैं, ऐ ज़िंदगी देख मेरे हौसले तुझसे भी बड़े हैं। Roj Roj Gir Kar Bhi Muqammal Khade Hain, Ai Zindgi Dekh Mere Hausle Tujhse Bhi Bade Hain. Shayari Zindagi Shayari