रूठ कर बैठीं हैं वो किताबें,

रूठ कर बैठीं हैं वो किताबें,

रूठ कर बैठीं हैं वो किताबें,
जिनपर कभी जान छिड़कते थे !!
जब से पैसा कमाने लगे हैं,
शायद ख़ुदगर्ज हो गये हैं हम !!


Rooth kar baitheen hain vo kitaaben,
Jinapar kabhee jaan chhidakate the !!
Jab se paisa kamaane lage hain,
Shaayad khudagarj ho gaye hain ham !!