रूकती नहीं किसी के लिये मौजे-जिन्दगी

रूकती नहीं किसी के लिये मौजे-जिन्दगी

रूकती नहीं किसी के लिये मौजे-जिन्दगी,
धारे से जो हटे वो किनारे पर आ गये।


Rukti Nahi Kisi Ke Liye Mauje-Zindgi,
Dhaare Se Jo Hate Woh Kinare Par Aa Gaye.