रहने दो मुझको यूँ उलझा हुआ सा अपने लोगों में

रहने दो मुझको यूँ उलझा हुआ सा अपने लोगों में

रहने दो मुझको यूँ उलझा हुआ सा अपने लोगों में,
सुना है सुलझ जाने से धागे अलग अलग हो जाते हैं...!


Rahane do mujhako yoon ulajha hua sa apane logon mein,
Suna hai sulajh jaane se dhaage alag alag ho jaate hain...!