ये सर्द रातें फिर बनी हैं डाकिया

ये सर्द रातें फिर बनी हैं डाकिया

ये सर्द रातें फिर बनी हैं डाकिया...
तेरे अनलिखे ख़त मुझ तक पहुँचने लगे है...


Ye sard raaten phir banee hain daakiya...
Tere analikhe khat mujh tak pahunchane lage hai...