ये ख़्वाब है कि उलझता है और ख़्वाबों से

ये ख़्वाब है कि उलझता है और ख़्वाबों से

ये ख़्वाब है कि उलझता है और ख़्वाबों से
ये चाँद है कि ख़ला में पतंग उड़ती है
-ज़फ़र इक़बाल


Ye khvaab hai ki ulajhata hai aur khvaabon se
Ye chaand hai ki khala mein patang udatee hai
-zafar iqabaal