यूँ तो मकान मेरा भी है, तेरे ही शहर में 'ग़ालिब',

यूँ तो मकान मेरा भी है, तेरे ही शहर में 'ग़ालिब',

यूँ तो मकान मेरा भी है, तेरे ही शहर में 'ग़ालिब',
जहाँ तेरा घर तो घर, उर्दू भी लापता है..
कौन कहता है अब की तू 'आगरा' से था,
आवाम को तो बस, 'दिल्ली' का ही पता है।


Yoon to makaan mera bhee hai, tere hee shahar mein gaalib,
Jahaan tera ghar to ghar, urdoo bhee laapata hai..
Kaun kahata hai ab kee too aagara se tha,
Aavaam ko to bas, dillee ka hee pata hai.