मैं न अन्दर से समंदर हूँ न बाहर आसमान

मैं न अन्दर से समंदर हूँ न बाहर आसमान

मैं न अन्दर से समंदर हूँ न बाहर आसमान,
बस मुझे उतना समझ जितना नजर आता हूँ मैं।


Main Na Andar Se Samandar Hoon Na Baahar Se Aasmaan,
Bas Mujhe Utna Samajh Jitna Najar Aata Hoon Main.