मैं जब भी लिखता हूँ शायरी तेरी शिकायत पर

मैं जब भी लिखता हूँ शायरी तेरी शिकायत पर

मैं जब भी लिखता हूँ शायरी तेरी शिकायत पर

मैं जब भी लिखता हूँ शायरी तेरी शिकायत पर,
"मोहब्बत" लब्ज आते हीं कागज़ पर आँसू गिर पड़ते हैं


Main jab bhee likhata hoon shaayaree teree shikaayat par,
"mohabbat" labj aate heen kaagaz par aansoo gir padate hain