मैं क्या कहूँ कहाँ है मोहब्बत कहाँ नहीं

मैं क्या कहूँ कहाँ है मोहब्बत कहाँ नहीं

मैं क्या कहूँ कहाँ है मोहब्बत कहाँ नहीं

मैं क्या कहूँ कहाँ है मोहब्बत कहाँ नहीं
रग रग में दौड़ी फिरती है नश्तर लिए हुए


Main kya kahoon kahaan hai mohabbat kahaan nahin
Rag rag mein daudee phiratee hai nashtar lie hue