मैं करूं भी तो किस बात का घमंड

मैं करूं भी तो किस बात का घमंड

मैं करूं भी तो किस बात का घमंड?
सूरज की रोशनी को भी मैंने रात के साये में ढलते देखा है।।


Main karoon bhee to kis baat ka ghamand?
Sooraj kee roshanee ko bhee mainne raat ke saaye mein dhalate dekha hai..