मेरे अल्फ़ाज़ झगड़ पड़े हैं तुम्हारे इश्क़ की तारीफ के खातिर

मेरे अल्फ़ाज़ झगड़ पड़े हैं तुम्हारे इश्क़ की तारीफ के खातिर

मेरे अल्फ़ाज़ झगड़ पड़े हैं, तुम्हारे इश्क़ की तारीफ के खातिर....
कोई कह रहा है तुम्हे चाँद लिखूँ, तो कोई कह रहा है कायनात!


Mere alfaaz jhagad pade hain, tumhaare ishq kee taareeph ke khaatir....
Koee kah raha hai tumhe chaand likhoon, to koee kah raha hai kaayanaat!