मुहब्बत का ये अंज़ाम कब सोचा था

मुहब्बत का ये अंज़ाम कब सोचा था

मुहब्बत का ये अंज़ाम कब सोचा था..
मुझे रुकने को कहकर, चला गया है वो..!


Muhabbat ka ye anzaam kab socha tha..
Mujhe rukane ko kahakar, chala gaya hai vo..!