मुर्शिद की याद आई है, सांसों ज़रा आहिस्ता चलो

मुर्शिद की याद आई है, सांसों ज़रा आहिस्ता चलो

मुर्शिद की याद आई है, सांसों ज़रा आहिस्ता चलो

मुर्शिद की याद आई है, सांसों ज़रा आहिस्ता चलो,
धड़कनों से भी इबादत में खलल पडता है।


Murshid kee yaad aaee hai, saanson zara aahista chalo,
Dhadakanon se bhee ibaadat mein khalal padata hai.