मुख़्तसर सा गुरूर भी ज़रूरी है जीने के लिए

मुख़्तसर सा गुरूर भी ज़रूरी है जीने के लिए

मुख़्तसर सा गुरूर भी ज़रूरी है, जीने के लिए;
ज्यादा झुक के मिलो तो दुनिया, पीठ को पायदान बना लेती है!


Mukhtasar sa guroor bhee zarooree hai, jeene ke lie;
Jyaada jhuk ke milo to duniya, peeth ko paayadaan bana letee hai!