महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मी Admin / Sep 08, 2021 महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मी महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मी, जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा। Mahboob Ka Ghar Ho Ya Farishton Ki Ho Zamin, Jo Chhod Diya Phir Use Mudkar Nahi Dekha. Shayari Attitude Shayari