मजबूरी बेगैरत हो कर बाज़ारों में बिकती है

मजबूरी बेगैरत हो कर बाज़ारों में बिकती है

मजबूरी बेगैरत हो कर बाज़ारों में बिकती है,
औरत के सपने मर्दों के हम-बिस्तर हो जाते हैं


Majabooree begairat ho kar baazaaron mein bikatee hai,
Aurat ke sapane mardon ke ham-bistar ho jaate hain