फकत इंसानियत से फिर भरोसा उठ गया मेरा

फकत इंसानियत से फिर भरोसा उठ गया मेरा

फकत इंसानियत से फिर भरोसा उठ गया मेरा

फकत इंसानियत से फिर भरोसा उठ गया मेरा...
महज़ बस एक इंसां था कभी जिसने दिया धोखा


Phakat insaaniyat se phir bharosa uth gaya mera...
Mahaz bas ek insaan tha kabhee jisane diya dhokha