प्रताप का सिर कभी नहीं झुका,

प्रताप का सिर कभी नहीं झुका,

प्रताप का सिर कभी नहीं झुका,
इस बात से अकबर भी शर्मिंदा था,
मुगल कभी चैन से सो न सके
जब तक मेवाड़ी राणा जिन्दा था.


Pratap ka sir kabhee nahin jhuka,
Is baat se akabar bhee sharminda tha !!
Mugal kabhee chain se so na sake,
Jab tak mevaadee raana jinda tha !!