निहार रहा था उसके चेहरे की खुली किताब को

निहार रहा था उसके चेहरे की खुली किताब को

निहार रहा था उसके चेहरे की खुली किताब को
कमबख्त बोल बैठी देखो जी नक़ल करना जुर्म है


Nihaar raha tha usake chehare kee khulee kitaab ko
Kamabakht bol baithee dekho jee naqal karana jurm hai