धन्य गुरुवर लेखनी

धन्य गुरुवर लेखनी

धन्य गुरुवर लेखनी, धन्य तुम्हारी करनी,
धन्य है वो देव पिता भी, धन्य तुम्हारी जननी।
जिसको लागा हरी रंग लागा, रंग कोई लागे ना,
रंगी तो बस मन चदरिया, हरी के रंग है रंगनी।।