ठंड की रात भी दुशाला ओढ़ रही थी चांदनी का कुहरे के साए में

ठंड की रात भी दुशाला ओढ़ रही थी चांदनी का कुहरे के साए में

ठंड की रात भी दुशाला ओढ़ रही थी चांदनी का कुहरे के साए में

ठंड की रात भी दुशाला ओढ़ रही थी चांदनी का कुहरे के साए में
ये चांद की मोहब्बत थी जो पाकीज़ा बनकर धरती पर उतरी थी


Thand kee raat bhee dushaala odh rahee thee chaandanee ka kuhare ke sae mein
Ye chaand kee mohabbat thee jo paakeeza banakar dharatee par utaree thee