ज़िन्दगी वो जो ख्वाबों-ख्यालों में है

ज़िन्दगी वो जो ख्वाबों-ख्यालों में है

ज़िन्दगी वो जो ख्वाबों-ख्यालों में है,
वो तो शायद मयस्सर न होगी कभी,
ये जो लिक्खी हुई इन लकीरों में है,
अब इसी ज़िन्दगानी के हो जाएँ क्या।


Zindagi Woh Jo Khwabo-Khayalon Mein Hai,
Woh Toh Shayad Mayassar Na Hogi Kabhi,
Yeh Jo Likhi Hui Inn Lakeeron Mein Hain,
Ab Isee Zindgaani Ke Ho Jayein Kya.