ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत

ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत

ज़िंदगी है अपने क़ब्ज़े में न अपने बस में मौत...
आदमी मजबूर है और किस क़दर मजबूर है...!!


Zindagee hai apane qabze mein na apane bas mein maut...
Aadamee majaboor hai aur kis qadar majaboor hai...!!