ज़ख़्म ज़ख़्म होती है रोज़ अपनी ख़ुद्दारी Admin / Aug 26, 2024 ज़ख़्म ज़ख़्म होती है रोज़ अपनी ख़ुद्दारी ज़ख़्म-ज़ख़्म होती है रोज़ अपनी ख़ुद्दारी, रोज़ ज़िंदगी हमसे तू-तड़ाक करती है...! Zakhm-zakhm hotee hai roz apanee khuddaaree, Roz zindagee hamase too-tadaak karatee hai...! Shayari Ham Shayari Hindi Shayari