चरन कमल बंदौ हरि राई

चरन कमल बंदौ हरि राई

चरन कमल बंदौ हरि राई।
जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, आंधर कों सब कछु दरसाई॥
बहिरो सुनै, मूक पुनि बोलै, रंक चले सिर छत्र धराई।
सूरदास स्वामी करुनामय, बार-बार बंदौं तेहि पाई॥

हरि की महिमा गान करने वाले संत महाकवि
सूरदास जी की जयंती पर उन्हें विनम्र नमन!