घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है

घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है

घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है

घर में अखबार भी अब किसी बुजुर्ग सा लगता है,
जरूरत किसी को नहीं, जरूरी फिर भी है


Ghar mein akhabaar bhee ab kisee bujurg sa lagata hai,
Jaroorat kisee ko nahin, jarooree phir bhee hai