क्यूं बोझ हो जाते है वो झुके हुए कंधे साहब

क्यूं बोझ हो जाते है वो झुके हुए कंधे साहब

क्यूं बोझ हो जाते है वो झुके हुए कंधे साहब,
जिन पर चढ़कर तुम कभी मेला देखा करते थे।


Kyoon bojh ho jaate hai vo jhuke hue kandhe saahab,
Jin par chadhakar tum kabhee mela dekha karate the.