कैसी है फितरत इन्सान की भी अय खुदा

कैसी है फितरत इन्सान की भी अय खुदा

कैसी है फितरत इन्सान की भी अय खुदा

कैसी है फितरत इन्सान की भी अय खुदा,
पल में अपना तो पल में पराया कर देते है...


Kaisee hai phitarat insaan kee bhee ay khuda,
Pal mein apana to pal mein paraaya kar dete hai...