कैसा गढ़ा था देवता, जो मानव भी न हो पाया Neha / Jan 31, 2022 कैसा गढ़ा था देवता, जो मानव भी न हो पाया कैसा गढ़ा था देवता, जो मानव भी न हो पाया उन लफ्जों को कर वापस कि दिल्ली सिंगापुर, शंघाई न हो पाया। Kaisa gadha tha devata, jo maanav bhee na ho paaya Un laphjon ko kar vaapas ki dillee singaapur, shanghaee na ho paaya. Shayari Delhi Shayari Dil Shayari Hindi Shayari Lafz Shayari