कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है

कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है

कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है

कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है...
ये वक्त है दोस्तों बदलता ज़रूर है...!!


Kitana bhee samet lo haathon se phisalata zaroor hai...
Ye vakt hai doston badalata zaroor hai...!!