क़ुव्वत ए तामीर थी कैसी ख़स ओ ख़ाशाक में Rajnish / May 30, 2021 क़ुव्वत ए तामीर थी कैसी ख़स ओ ख़ाशाक में क़ुव्वत-ए-तामीर थी कैसी ख़स-ओ-ख़ाशाक में आँधियाँ चलती रहीं और आशियाँ बनता गया (क़ुव्वत-ए-तामीर = निर्माण की ताक़त; ख़स-ओ-ख़ाशाक = सुखी घास) Kuvvat-e-taameer thi kaisi khas-o-khashaak mein Aandhiyan chalti rahi aur aashiyaan banta gaya Shayari Sad Shayari Sukh Shayari