कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं Admin / May 30, 2021 कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं Kabhi mahak ki tarah hum gulon se udate hain kabhi dhuyen ki tarah parvaton se udate hain Ye kechiya hume udne se khaak rokengi Ki hum paron se nahi housalon se udate hain Shayari Ham Shayari Hindi Shayari