उसकी नफ़रत न ख़त्म कर सकी सोने का एक महल

उसकी नफ़रत न ख़त्म कर सकी सोने का एक महल

उसकी नफ़रत न ख़त्म कर सकी सोने का एक महल

उसकी नफ़रत न ख़त्म कर सकी सोने का एक महल...

और मेरी चाहत ने एक चूड़ी को कंगन बना दिया |।।


Usakee nafarat na khatm kar sakee sone ka ek mahal...

Aur meree chaahat ne ek choodee ko kangan bana diya |..